"स्वतंत्रता
मेरा जन्म-सिद्ध
अधिकार है और
मै इसे लेकर
रहूँगा " , लोकमान्य तिलक जी
के ये शब्द
15 अगस्त सन 1947 की मध्यरात्रि
को साकार हुए
और उस दिन
हमने सैकड़ों सालों से परतंत्र अपने देश
को अंग्रेजों की
गुलामी से आजाद
कराया और स्वतंत्र
भारत में तिरंगा
फहराया ।
ये आजादी हम लोगों
ने इतनी आसानी
से नहीं पायी,
इसके लिए करोड़ों
लोगों ने संघर्ष
किया और अपनी
सहादत दी ।
महात्मा गाँधी , भगत सिंह,
लोकमान्य तिलक , सुभाष चन्द्र
बोष, वल्लभ भाई
पटेल, चद्र शेखर
आजाद, ऐसे करोड़ों
लोगों ने अपनी
जान की आहुति
दी , तब जाकर
आज हम खुली
हवा में साँस
ले पा रहे
हैं ।
हर साल इस
दिन को हम
स्वतंत्रता दिवस के
रूप में मानते
हैं और हजारों
शहीदों की
सहादत को याद
करते हैं और
ये प्रण लेते
हैं कि इस
आज़ादी को हम
कभी खोने नहीं
देंगे ।
इस दिन पूरा
देश हर्षौलास से
भरा रहता है
। हर तरफ
उमंग ही उमंग
रहती है ।
हर व्यक्ति आज़ादी
के इस पर्व
को जोश और
उमंग के साथ
मनाता है ।
देश के प्रधानमंत्री
लालकिले पर तिरंगा
फहराते हैं और
देश को संबोधित
करते हैं ।
स्कूलों , दफ्तरों , और हर
जगह तिरंगा फहराया
जाता है और
मिठाइयाँ बांटी जाती हैं।
तरह तरह के
समारोह का आयोजन
किया जाता है
। पूरा देश
ख़ुशी और उमंग
में सराबोर रहता
है ।
आज़ादी के पावन
पर्व को मानाने
में काफी बदलाव
आये हैं लेकिन
मूल भावना वही
है।लेकिन आज एक
सवाल ये भी
उठता है कि
हम स्वतंत्रता से
समझते क्या हैं
? इसका जवाब शायद
वो लोग अच्छे
से देते जिन्होंने
इसको पाने के
लिए अपनी जान
कि आहुति दी, फिर
भी हम लोगों
को समझना होगा
कि स्वतंत्रता का
मतलब क्या है
? कुछ लोग कहते
हैं कि हम
चाहे जो करे
हम स्वतंत्र हैं
, तरह तरह के
गलत काम, भ्रष्टाचार
,दूसरों को परेशान
करना , उन पर
अन्याय करना , गुंडागर्दी , क्या
ये सब स्वतंत्रता
को परिभाषित करते
हैं ? क्या इसी
भारत कि कल्पना
करके हमारे शहीदों
ने कुर्बानी दी
थी ?
इसका जवाब है
"नहीं" ।
दरअसल स्वतंत्रता का मतलब
ये नहीं कि
हम कुछ भी
करें ।'हम
तभी तक स्वतंत्र
है जब तक
किसी और कि
स्वतंत्रता हमारी स्वतंत्रता
के कारण बाधित
न हो ।
हमे कोई भी
ऐसा काम नहीं
करना चहिये जिससे
किसी दुसरे को
नुक्सान हो या
कष्ट पहुंचे ।
हमे कोई भी
ऐसा काम नहीं
करना चहिये जिससे
इस देश कि
सम्प्रभुता पर आंच
आये
अंत में
इस पावन अवसर
पर यही
कहना चाहूँगा कि
हमे इस स्वतंत्रता
के महत्व को
समझना चहिये और
ये प्रण लेना
चहिये कि इस
देश कि स्वंत्रता
, सम्प्रभुता और आन-बान और
शान पर कभी
आँच नहीं आने
देंगे।
आजादी कि कभी
शाम नहीं होने देंगे
,
शहीदों कि कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगे ,
बची हो जो एक बूंद भी गरम लहू कि …
तब तक भारत माता का आँचल नीलाम नहीं होने देंगे ।
शहीदों कि कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगे ,
बची हो जो एक बूंद भी गरम लहू कि …
तब तक भारत माता का आँचल नीलाम नहीं होने देंगे ।
JAI HIND , JAI BHARAT
...!!