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Here is to The Crazy Ones, The Misfits, The Rebels, The Troublemakers.The Round Pegs in the Square Holes.... The Ones Who See Things Differently!

Friday, March 23, 2012

Is the Universe Spinning? New Research Says "Yes"

Physicists and astronomers have long believed that the universe has mirror symmetry, like a basketball. But recent findings from the University of Michigan suggest that the shape of the Big Bang might be more complicated than previously thought, and that the early universe spun on an axis.Read more

Thursday, March 1, 2012

What Is RELIGION....??

धर्मं एक चिर-परिचित शब्द , जिसे हम अपनी बाल्यावस्था से ही अपने मन मष्तिस्क मे कंठस्त कर लेते है। हम कुछ और जान  पाए या नहीं, कुछ सोच सके या नहीं ..हम इस बात से जरुर अवगत हो जाते हैं की हमारा धर्मं क्या है।
हमारा धर्मं क्या है ..ये बात मुझे बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है और सबसे बड़े सवाल मे उभर कर आती है की आखिर " धर्मं क्या है?" ..क्योँ हम लोग जिन्दगी भर बिना सोचे समझे इस धर्मं का अनुसरण करते रहते हैं। अब अगर मैं ये कहूं की क्योँ न अनुसरण करें ..हमारे माता-पिता , हमारे पुर्वज इन वास्तविक और काल्पनिक मान्यताओं, नियम-कायदों का पालन करते आ रहे हैं, तो ये पक्ष भी विचारोयोक्त है।
अब अगर हम इसके दुसरे बिंदु पर गौर फरमाएं की हम अनुसरण करें तो क्योँ  करें ? हम क्योँ किसी भी मान्यता या नियम का पालन करें, हमे तथाकथित इश्वर ने मस्तिस्क प्रदत किया है, तो हम क्योँ बिना सोचे समझे कुछ भी मान ले।
इन सब प्रश्नों का उतर खोजने निकला जाये तो इन्सान को वास्तविक जड़ मे जाना होगा, हमे जानना होगा की आखिर 'धर्मं क्या है?' ..क्या तथाकथित इश्वर ने ऊपर से 'गीता' , 'कुरान' 'रामायण' 'bible'  और अन्य धर्म की किताबे  दी और कहा "हे मनुष्य ये धर्म ग्रन्थ मे तुम्हे दे रहा हूँ, अपने पूरे जीवन काल मे तुम इसी का अनुसरण करना अन्यथा तुम प्रकोप क भागीदारी बनोगे ।"
आखिर ये इतनी उलझी पहेली है क्या ?..विज्ञानं का छात्र होने क नाते (और न भी हूँ तो अपने विवेक से सोचने पर ) मैं इन बातों को मानने मे थोडा गुरेज करूंगा क्योंकि हम जानते है की 'इस धरती का जन्म कैसे हुआ था '...'कैसे इस पर जीवन की उत्पति हुई ..कैसे मनुष्य का प्रादुर्भाव इस धरा पर हुआ ..आदिकाल से लेकर आज के  इस नवीनतम युग तक किस तरह इन्सान ने अपने आप को परिवर्तित किया है।'
अब अगर इन सब बातों पर विचार किया जाय तो हम उस सवाल के जवाब थोडा निकट आ पाएंगे। आज दुनिया में बहुत से धर्मं है जिनका लोग अनुसरण करते हैं लेकिन अगर हम कहते हैं कि हमे उस इश्वर ने बनाया है तो हमारा-सबका धर्म एक ही होना चहिये।पुरातन काल से लेकर आज तक मनुष्य इतनी सारी सभ्यताओं का  अनुसरण करता आ रहा है तो ' इतनी विवधता क्योँ है..?' यही प्रश्न हमे और आपको कुछ सोचने पर मजबूर करता है।
हम अगर धर्मं को मनुष्य से  हटाकर सोचें तो हम ये पाएंगे कि मनुष्य जाति मे भी बहुत अधिक विवधता है । उसमे ये विवधता उसके प्राकर्तिक स्वरुप के कारण , जलवायु के कारण और अन्य बहुत से कारणों से है।अगर हम आदिकाल मे भी देखें तो कहीं मानव अधिक विकसित था तो कहीं कम । 'जब  थोडा विकास हुआ तो मानव "कबीलों" और " समूहों" में रहने लगा और संसार का हर कबीला और समूह एक दुसरे से भिन्न था और अलग अलग मान्यताओं का अनुसरण करता था ।
तो हम जरा गौर से इन सारी बातों को समझे तो हमे अपने सवाल का बहुत हद तक जवाब मिल गया है ।अगर मै सारे सवालों को एक-एक करके उठाऊँ तो सबसे पहले धर्मं क्या है -'दरसल हम धर्मं में तरह तरह क नियम कायदों का पालन करते है जो हमे सही ढंग से जीना सिखाते हैं, हम अपने जीवन को किस तरह सुनियोजित ढंग से जिससे हमे और समाज को एक नयी दिशा मिले , हमारा पूर्ण-रूपेण विकास हो सके, खुशाल जीवन व्यतीत कर सकें , किस तरह हमे रिश्तों का पालन करना चाइये जिससे समाज संगठित रूप से रह सके और प्रगति कर सके ।'
अब बात आती है कि इतने सारे धरम क्योँ है ?  कैसे हुआ इतने धर्मो का विकास ?
तो इस पर हम अगर वर्णित किये गए आदिकाल से देखे तो ऊतर मिल जायेगा। "जिस तरह दुनिया में हजारों कबीलों और समूहों में लोग रहते थे , और सबकी मान्यताएं अलग थी , वहीँ से धर्मं का विकास शुरू हुआ।
मनुष्य इन छोटे समूहों में नियम कायदे बनाकर रहता था जिससे सही ढंग से जीवन यापन कर सके , धीरे-धीरे छोटे समूह बड़े समूहों में तब्दील हो गए , जिन समूहों क विचारों में थोड़ी समानता थी उन्होंने थोड़े फेरबदल कर के एक नयी विचार धरा को रखकर एक बड़े समूह का संघटन किया । धीरे-धीरे ये समूह और बड़े होते गए और इनकी विचारधारा ने धर्मं कि शक्ल इख़्तियार कि जिसको समाज के बड़े हिस्से मे पालन किया जाने लगा।"
  अंततः  हम ये कह सकते हैं कि धर्मं हमे यही सिखाते है कि किस तरह आप नियमों का पालन कर के एक खुशाल जीवन बिता सकते हैं तथा अपने और समाज का विकास कर सकते हैं ।