एक तरफ मार्च के महीने मे बेहिसाब बारिश, तो दूसरी तरफ देश में क्रिकेट वर्ल्ड कप का खुमार । एक तरफ पाकिस्तान से लड़ते हमारे सैनिक तो दूसरी तरफ नाचते गाते झूमते cricket fans. एक तरफ train हादसा और दुर्घटनाओ में मरते लोग तो दूसरी तरफ संसद में cricket song गाते हमारे सांसद । क्रिकेट का नशा ही कुछ अलग है इस देश मे की हर कोई झूमना चाहता है और होना भी चाहिये। लेकिन हमारे किसान इस बर्बादी के बाद आत्महत्या करने पर मजबूर है लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नही। लोग अपनी जान गवा रहे है लेकिन सही planning नही । हमारे सैनिक शहीद हो रहे है लेकिन कोई ठोस रणन्नीती नहीं । और इंतन्हा तो तब हो जाती है जब हमारे सांसद क्रिकेट मैच देखने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाने की तैयारी कर रहे है लेकिन किसान आत्महत्या करे तो करे उन्हें क्या, उनकी सुध क्यों ले। पर इसमे गलती उनकी भी नही है आखिर चुनकर उनको तो हमी लोग भेजते है । और यह इस देश की विडम्बना ही है की गरीब की सुध कोई लेता नही न सरकार न लोग क्योंकि उनकी जान शायद बहुत सस्ती है। उनके नाम पर सिर्फ राजनीती और अफ़सोस ही किया जाता है और यह भी एक बहुत बड़ी विडम्बना है की जिस अन्न को खाकर हम अपना जीवनयापन करते है उसी अन्न को पैदा करने वाला अन्नदाता खुद मरने के लिए तैयार बैठा है और पूरा देश क्रिकेट का मज़ा ले रहा है।
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