आज देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लहर दौड़ रही है। तमाम लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं । भ्रष्टाचार दिन-प्रतिदिन हमारे समाज में विष की तरह फैलता जा रहा है और हमारे समाज को खोखला कर रहा है। तरह तरह के सुझाव भी दिए जा रहे हैं भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए लेकिन क्या इनसे पूरी तरह भ्रष्टाचार समाप्त हो जायेगा ये एक बहुत बड़ा सवाल है।
भ्रष्टाचार(भ्रष्ट+आचार) यानि आचरण मैं असुधता अर्थात गलत ढंग से किये गये क्रिया-कलाप। अब गौर करने वाली बात लोग भ्रष्टाचार करते क्यों है क्योकि इसी सवाल में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने का जवाब है।
दरसल भ्रष्टाचार एक सोच है, जिसके तहत आदमी भ्रष्ट क्रिया कलाप करता है। उसकी सोच अशुद्ध होने के फलस्वरूप वो घूस लेता है , घोटाले करता है या अन्य कोई भी गलत कम करता है। उसकी सोच उसे गलत कम करने के लिए विवश करती है। तो यदि भ्रष्टाचार वयक्तिगत या सामाजिक सोच के तहत आता है तो इस पर रोक कैसे लगायी जाये ?
अगर पूरी तरह से भ्रष्टाचार मिटाना है तो उसका सिर्फ एक ही उपाय है की लोगों की सोच बदले , उनके विचारों और क्रिया कलापों में शुद्धता आये । लोगों में इतनी बौद्धिकता का विकास किया जाये की वे सोच सके की क्या सही है क्या गलत । इस तरह तरह का सामाजिक परिवेश जब बन जायेगा तो लोग गलत काम नहीं करेंगे और फलस्वरूप भ्रष्टाचार समाप्त हो जायेगा ।
लेकिन क्या सबकी सोच को पवित्र और शुध किया जा सकता है? इसका जवाब है 'नहीं' ।यह एक आदर्श परिवेश होगा जिसका होना बहुत मुश्किल है।
तो अगर सोच सबकी नहीं बदल सकते तो दूसरा उपाय क्या है ? दूसरा उपाय यही है जिसकी मांग आज देश कर रहा है। हमे भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े नियम कायदे बनाने पड़ेंगे जिससे लोग दरें किसी भी गलत काम को करने से । हालाँकि ये एक हद तक ही भ्रष्टाचार पर रोक लगा पायेग।
अंततः सिर्फ यही कहूँगा लोग अगर अपनी सोच में शुद्धता लायें , अपने आने वाली पीढ़ी में अच्छे संस्कारों का विकास करें तभी हमरा समाज पूरी तरह भ्रष्टाचार के चंगुल से मुक्त हो सकेगा ।
भ्रष्टाचार(भ्रष्ट+आचार) यानि आचरण मैं असुधता अर्थात गलत ढंग से किये गये क्रिया-कलाप। अब गौर करने वाली बात लोग भ्रष्टाचार करते क्यों है क्योकि इसी सवाल में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने का जवाब है।
दरसल भ्रष्टाचार एक सोच है, जिसके तहत आदमी भ्रष्ट क्रिया कलाप करता है। उसकी सोच अशुद्ध होने के फलस्वरूप वो घूस लेता है , घोटाले करता है या अन्य कोई भी गलत कम करता है। उसकी सोच उसे गलत कम करने के लिए विवश करती है। तो यदि भ्रष्टाचार वयक्तिगत या सामाजिक सोच के तहत आता है तो इस पर रोक कैसे लगायी जाये ?
अगर पूरी तरह से भ्रष्टाचार मिटाना है तो उसका सिर्फ एक ही उपाय है की लोगों की सोच बदले , उनके विचारों और क्रिया कलापों में शुद्धता आये । लोगों में इतनी बौद्धिकता का विकास किया जाये की वे सोच सके की क्या सही है क्या गलत । इस तरह तरह का सामाजिक परिवेश जब बन जायेगा तो लोग गलत काम नहीं करेंगे और फलस्वरूप भ्रष्टाचार समाप्त हो जायेगा ।
लेकिन क्या सबकी सोच को पवित्र और शुध किया जा सकता है? इसका जवाब है 'नहीं' ।यह एक आदर्श परिवेश होगा जिसका होना बहुत मुश्किल है।
तो अगर सोच सबकी नहीं बदल सकते तो दूसरा उपाय क्या है ? दूसरा उपाय यही है जिसकी मांग आज देश कर रहा है। हमे भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े नियम कायदे बनाने पड़ेंगे जिससे लोग दरें किसी भी गलत काम को करने से । हालाँकि ये एक हद तक ही भ्रष्टाचार पर रोक लगा पायेग।
अंततः सिर्फ यही कहूँगा लोग अगर अपनी सोच में शुद्धता लायें , अपने आने वाली पीढ़ी में अच्छे संस्कारों का विकास करें तभी हमरा समाज पूरी तरह भ्रष्टाचार के चंगुल से मुक्त हो सकेगा ।