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Here is to The Crazy Ones, The Misfits, The Rebels, The Troublemakers.The Round Pegs in the Square Holes.... The Ones Who See Things Differently!

Monday, August 13, 2012

WHAT INDEPENDENCE MEAN TO US .....


"स्वतंत्रता मेरा जन्म-सिद्ध अधिकार है और मै इसे लेकर रहूँगा " , लोकमान्य तिलक जी के ये शब्द 15 अगस्त सन 1947 की मध्यरात्रि को साकार हुए और उस दिन हमने सैकड़ों  सालों से  परतंत्र अपने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराया और स्वतंत्र भारत में तिरंगा फहराया
ये आजादी हम लोगों ने इतनी आसानी से नहीं पायी, इसके लिए करोड़ों लोगों ने संघर्ष किया और अपनी सहादत दी महात्मा गाँधी , भगत सिंह, लोकमान्य तिलक , सुभाष चन्द्र बोष, वल्लभ भाई पटेल, चद्र शेखर आजाद, ऐसे करोड़ों लोगों ने अपनी जान की आहुति दी , तब जाकर आज हम खुली हवा में साँस ले पा रहे हैं  
हर साल इस दिन को हम स्वतंत्रता दिवस के रूप में मानते हैं और हजारों शहीदों  की सहादत को याद करते हैं और ये प्रण लेते हैं कि इस आज़ादी को हम कभी खोने नहीं देंगे
इस दिन पूरा देश हर्षौलास से भरा रहता है हर तरफ उमंग ही उमंग रहती है हर व्यक्ति आज़ादी के इस पर्व को जोश और उमंग के साथ मनाता है देश के प्रधानमंत्री लालकिले पर तिरंगा फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं स्कूलों , दफ्तरों , और हर जगह तिरंगा फहराया जाता है और मिठाइयाँ बांटी जाती हैं। तरह तरह के समारोह का आयोजन किया जाता है पूरा देश ख़ुशी और उमंग में सराबोर रहता है
आज़ादी के पावन पर्व को मानाने में काफी बदलाव आये हैं लेकिन मूल भावना वही है।लेकिन आज एक सवाल ये भी उठता है कि हम स्वतंत्रता से समझते क्या हैं ? इसका जवाब शायद वो लोग अच्छे से देते जिन्होंने इसको पाने के लिए अपनी जान कि आहुति दीफिर भी हम लोगों को समझना होगा कि स्वतंत्रता का मतलब क्या है ? कुछ लोग कहते हैं कि हम चाहे जो करे हम स्वतंत्र हैं , तरह तरह के गलत काम, भ्रष्टाचार ,दूसरों को परेशान करना , उन पर अन्याय करना , गुंडागर्दी , क्या ये सब स्वतंत्रता को परिभाषित करते हैं ? क्या इसी भारत कि कल्पना करके हमारे शहीदों ने कुर्बानी दी थी ?
इसका जवाब है "नहीं"  
दरअसल स्वतंत्रता का मतलब ये नहीं कि हम कुछ भी करें 'हम तभी तक स्वतंत्र है जब तक किसी और कि स्वतंत्रता हमारी स्वतंत्रता के कारण बाधित हो हमे कोई भी ऐसा काम नहीं करना चहिये जिससे किसी दुसरे को नुक्सान हो या कष्ट पहुंचे हमे कोई भी ऐसा काम नहीं करना चहिये जिससे इस देश कि सम्प्रभुता पर आंच आये      
अंत में  इस पावन अवसर पर  यही कहना चाहूँगा कि हमे इस स्वतंत्रता के महत्व को समझना चहिये और ये प्रण लेना चहिये कि इस देश कि स्वंत्रता , सम्प्रभुता और आन-बान और शान पर कभी आँच नहीं आने देंगे।
आजादी  कि  कभी शाम  नहीं  होने  देंगे ,
शहीदों  कि कुर्बानी बदनाम  नहीं  होने  देंगे
बची  हो  जो  एक  बूंद  भी  गरम  लहू  कि
तब  तक  भारत  माता  का  आँचल  नीलाम  नहीं  होने  देंगे   

JAI HIND , JAI BHARAT ...!!

Saturday, August 11, 2012

The Dual Thinking Of Selfish Society

हमारा समाज विभिन्न जातियों -धर्म -सम्प्रदायों से मिलकर बना है । भांति भांति के लोग और हर किसी के अलग विचार । समाज के  विचारों पर , सोच पर कभी गौर किया जाये तो आपको बहुतायत में दोहरी विचारधारा वाले लोग मिलेंगे । हर कोई गलत काम नहीं करने के लिए कहेगा लेकिन वही करेगा , महिलाओं के  प्रति दोहरी विचारधारा , भ्रस्टाचार लोग न करने के लिए बोलेंगे लेकिन अधिकतर लोग इससे अपने आप को अछूता नहीं रख पाते हैं।

यहाँ पर मैं सिर्फ कुछ खास मुदों को ही उठाऊँगा जिसमें सबसे पहले महिलाओं की स्थिति है। हमारा देश अतीत से ही धर्म और आस्था के लिए जाना जाता है। महिलाओं को धर्मं में बड़ा ही पूजनीय स्थान मिला है लेकिन अतीत से लेकर आज तक महिलाओं की दशा (या दुर्दशा ) किसी से छुपी नहीं है । ऐसा क्यों है की महिलाओं की स्थिति में  सुधार बहुत कम है , ये हमारे समाज की दोहरी विचारधारा को ही दिखलाता  है । हर  धर्म में देवियों को पूजा जाता है और उनको उच्च स्थान प्राप्त है । अनेक त्यौहार जैसे दुर्गा पूजा , नवरात या फिर अनेकों तीर्थ स्थल(जैसे वैष्णो देवी ) पर लोग करोड़ों की संख्या में पूजा- अर्चना करते है ।
महिलाओं, लड़कियों, बच्चियों  को देवी स्वरुप मानकर उनकी पूजा की जाती है लेकिन वास्तविकता में उनकी दशा क्या है - आज लोग लड़कियों को जन्म ही नहीं देना चाहते , सेक्स ratio  दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है । महिलाओं पर तरह तरह क प्रतिबन्ध लगाये जाते हैं ।उन पर अत्याचारों की दास्तान बहुत लम्बी है और  किसी से अछूती भी नहीं है। इसे दोहरी विचारधारा न कहा जाये तो और क्या कहा जाये -एक तरफ तो आप उन्हें पूजते हैं और दूसरी तरफ उन्ही पर आप अत्याचार करते हैं ।  

दरसल ये समाज स्वार्थी लोगों से भरा हुआ है , वो सिर्फ अपनी स्वार्थ सिधि के लिए ही पूजा करते हैं । सही मायने में ये समाज महिलाओं को उतनी इज्जत  देता ही जिसकी वजह से उनकी दशा दिन प्रतिदिन बिगडती जा रही है ।
 दूसरा उदाहरण भी धर्म की आस्था से ही है , अधिकतर लोग पूजा अर्चना करते हैं और वो सिर्फ इसीलिए पूजा करते हैं की उनका कोई न कोई स्वार्थ या मनोकामना पूरी हो जाये ।वैसे इसमे कोई गलत बात भी नहीं है क्योंकि याचक अगर दाता से कुछ नहीं मांगेगा तो किस से मांगेगा । लेकिन करोड़ों की तादात में आपने ऐसी भी लोग देखे होंगे जो अपने पापों का प्रायश्चित करते है और प्रायश्चित करने क बाद फिर से पाप करते हैं इस तरह एक तरफ तो हम आस्था रख कर गलत न करने का वादा करते हैं लेकिन फिर उसी आस्था को ठोकर मारकर  गलत कम करते हैं ।

ये तो सिर्फ कुछ ही उदाहरण थे हमर समाज ऐसी तमाम दोहरी विचारधारा और इसको अपनाने वाले लोगों से भरा पड़ा है । अंतत सिर्फ इतना ही कहूँगा की हमे इस तरह की विचारधाराओं को नष्ट करके एक स्वस्थ समाज का निर्माण करना चहिये।

  

Sunday, August 5, 2012

MARRIAGES

शादियाँ , दो लोगों और दो परिवारों को जोड़ने का तरीका जो सदियों से चलता आ रहा है और हमेशा चलता रहेगा । शादी  एक  पावन रिश्ता है जिसमे एक लड़का और लड़की एक साथ रहने और एक दुसरे का सुख दुःख में हमेशा साथ देने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं ।
प्राचीन काल से लेकर आज तक हर धर्म में भिन्न-भिन्न तरीके से शादियाँ  होती हैं लेकिन मूल भावना  एक ही होती है ।
वैसे तो तरह तरह से शादियाँ होती हैं लेकिन वास्तविक रूप में सिर्फ दो प्रकार से शादियाँ होती हैं  पहला Arrange Marriage जो सदियों से चलती आ रही है और दूसरा Love Marriage, ये भी सदियों से चलती आ रही है लेकिन इसके  उदाहरण बहुत कम ही मिलते हैं  ।
Arranged marriage सदियों से चलती आ रही एक रीती जिसमे माँ -बाप लड़की या लड़के के लिए वर-या वधु की खोज करते हैं और उसके बाद उनकी शादी की जाती हैं ।
Love marriage , इसका प्रचलन विगत कुछ दशकों में बहुत तीव्र गति से बढ़ा है हालाँकि इसके उदाहरण  भी मिलते रहे हैं लेकिन बहुत कम क्योंकि हमारा समाज इसकी इजाजत नहीं देता । इसमे लड़का -लड़की अपनी मर्जी से एक दुसरे को पसंद करते है और शादी  करते हैं ।

अब हर तरह की शादी की कुछ खूबियाँ भी होती है तो कुछ कमियां भी ।

Arrange  Marriage  , इसमे सिर्फ माँ - बाप को वैचारिक स्वतंत्रता है उनकी संतानों को नहीं ।वो अपनी संतान के  लिए अच्छा बुरा जो सोचेंगे वो उनकी संतानों को मानना पड़ेगा । हालाँकि थोड़ी वैचारिक स्वतंत्रता अब मिलने लगी है लेकिन पहले ऐसा नहीं था ।
 सबसे पहले Arrange  Marriage  की खूबियों पर नजर डालें तो सबसे खास बात की इसमे सिर्फ दो लोगों का मिलन नहीं होता बल्कि दो परिवारों का मिलन होता है , नए रिश्ते बनते हैं । अधिकतर  इसमे पूरा परिवार एक साथ रहता है जिससे पारिवारिक परिवेश अच्छा बना रहता है । इसमे शादियाँ लगभग उम्र भर चलती है क्योंकि इस रिश्ते को निभाने का घर परिवार की तरफ से भी दबाव बनता रहता है और अगर कोई समस्या आती है तो सब लोग मिलकर उसका हल निकल लेते हैं।
love marrige , इसमे दो लोगों को एक दूसरे से इश्क होता है तत्पश्चात वो लोग शादी करते हैं ।इसमे जिसको शादी करनी है उसको वाचारिक स्वंत्रता प्राप्त होती है की वो अपनी मर्जी से पसंद करते हैं , एक दूसरे को समझते हैं । हालाँकि इस तरह की शादियों को support  बहुत कम मिलता है ।

अब बात आती है की दोनों तरह की शादियों में अच्छी शादी कौन सी है ?

दरसल दोनों शादियों की महत्ता अलग है । अगर love  marriage को देखें तो लड़के और लड़की में  पहले इश्क होता है और उसके बाद वो शादी करते है लेकिन इश्क होना और करना इतना आसन तो है नही और दुनिया के  हर लड़के  और  लड़की के  बीच  इश्क तो हो नहीं सकता तो वो बेचारे क्या करेंगे , इनके लिए तो उनके माँ-बाप को ही खोजना पड़ेगा  नहीं तो वो बेचारे कुंवारे ही मर जायेंगे।
तो वहीँ arranege  marriage में हमे अधिकार नहीं होता जीवनसाथी चुनने का ,जो की गलत है क्योंकि जीवन हमे बितान है तो अधिकार भी हमे ही होना चहिये।
अधिकतर लोग कहते है की arrange  marriage , love  marriage की अपेक्षा ज्यादा successful  होती है लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि अगर लोग एक दूसरे को समझते हैं तो उनमे मतभेद भी कम होता है हालाँकि अगर कभी मतभेद होता है तो वहां परिवार के लोग नहीं होते समझाने को इसलिए सायद रिश्ते टूट जाते हैं जबकि arrange  marriage  में परिवार की उपस्थिति का फायदा मिलता है ।
अंतत यही कहूँगा की हर marriage की अपनी एक अलग महत्ता और पहचान है ।
हाँ अगर love  marriage पर arrange  होने की अगर मोहर लग जाये तो वो marriage  सबसे बढ़िया होगी |